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शुक्रवार, अक्तूबर 19, 2012

आपके जन्मदिन उत्सव

आपके जन्मदिन उत्सव पर
आज तुम जिंदगी की राहों में
छोड़ आई हो कितने ढेर से दिन
अब उन्हें ढूँढना भी मुशिकल है
अब वहां लौटना भी नामुमकिन.
यह नया साल की जिंदगी तुम्हें
झिलमिलाते चिराग दे जाये
जिनके एहसास से हो दुःख तुम्हें
हसरतों के वो दाग ले जाये
फिर जब आये यह जन्मदिन उत्सव
तुम मेरा गीत गुनगुना लेना
यूँ ही जब शाम डूबने को हो
याद का एक "दिया" (दीपक) जला लेना.
 रब से दुआ कर रहे हैं हम,
आपके पास आये कोई गम
आपके जन्मदिन पर खुदा से  
यह मांगते हैं हम,
 हर कामयाबी चूमें आपके कदम". 
"हो मुबारक यह जन्मदिन तुम्हें, 
जहाँ तुम्हारा आबाद रहे,
जब तक दुनियां चलती रहे,
तब तक तुम्हारी याद रहे"
"नववर्ष खुशियों भरा मिलें"

इस साल का हर दिन  तुम्हें खुशियों भरा मिलें
जब भी मुझे मिलो तो बस हँसता हुआ मिलो
जिस राह भी तू जाये मंजिल की तलाश में
खुदा करें तुझे तेरी मंजिल का हर निशां मिले
हर सुबह तुझे इक नई ख़ुशी मिले
आपके जीवन का हर पल यूँ ही फूले-फले
पतझड़ कभी जो आये तो दुआ है मेरी
तुझे सदा फूलों-सा महकता चमन मिले.

वाह ! कमाल हो गया दोस्तों. आज( 20 अक्टूबर ) मेरे अलावा जिन चार अन्य दोस्तों का जन्मदिन है. उनमें से एक वकील Pawan Mowar Pranay , दूसरी गायिका Sonu Kakkar, तीसरी पत्रकार Vandana Singh और चौथे बिजनेस मैंन पवन जैन है. यानि सभी समाज में अपना अपना योगदान दे रहे है. यह सब मेरी आई.डी में शामिल दोस्त है. इसको कहते है कि जब देता है तो भगवान छप्पर फाड़ के देता है. मैं अपने अन्य सभी दोस्तों के लिए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ और बहुत सारी शुभकामनाओं के साथ अपनी बात बस इन्ही शब्दों के साथ खत्म करता हूँ कि:-


"हमारी तरफ से जन्‍मदिवस पर ढेरों शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई मित्र, सदैव आपका जीवन सुखमय रहे. परमपिता आपको रोग दोष मुक्त जीवन प्रदान कर दीर्घायु बनाये, माँ भारती की सेवा और रक्षा हेतु आपको और अधिक साहस,सामर्थ, इच्छाशक्ति प्रदान करें, आप प्रगति पथ पर निरंतर उन्नति प्राप्त करें, आपकी यश कीर्ति इस संसार के समस्त कोनों में सूर्य के प्रकाश की तरह ऊर्जा और चन्द्रमा के प्रकाश की भांति शीतलता प्रदान करें, दुःख, शोक, भय आपको छूकर भी ना निकले.उस सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर से यह प्रार्थना है कि मेरी हर प्रार्थना को जो मैंने आपके लिए की है,वो पूर्ण हो."
दोस्तों ! एक ओर रोचक बात हम ओर सोनू कक्कड एक-दूसरे से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी पर रहते थें. मगर हम एक-दूसरे के दोस्त अभी कुछ समय पहले ही बने है. वैसे इनके पिताश्री आदि हमें काफी समय से जानते हैं. उनके पापा के विज्ञापन हमारे "शकुन्तला टाइम्स" में प्रकाशित हुए है ओर मैंने "सोनू कक्कड-नेहा कक्कड" की काफी "माता की भेंटे" पत्रकारिता के क्षेत्र में आने से पहले ही सुनी हुई है. बाद में कभी प्रत्यक्ष रूप से सुनने का मौका नहीं मिला. वैसे सी.डी., टी.वी., सोनी टी.वी., इंटरनेट आदि पर खूब सुना है. इसके अलावा ओर भी बहुत से रोचक तथ्य है.

एक और याद इस लिंक को देखकर ताजा करें. 

शुक्रवार, मई 04, 2012

श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें  हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.


मंगलवार, जनवरी 03, 2012

नववर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनाएँ

आओ दोस्तों ! नववर्ष 2012 में प्रतिज्ञा लें कि "एक दीया तुम जलाओ, एक दीया हम जलाएं. कुछ अँधेरा तुम मिटाओ, कुछ अँधेरा हम मिटाएं" आप व आपके परिवार के सभी सदस्यों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ. 
नव वर्ष 2012 आपके एवं आपके परिवार के लिए सुख, शांति, सम्पन्नता, समृद्धि एवं सफलता लेकर आए । ईश्वर से नववर्ष पर यही कामना है।
   एक संकलन रचना पर गौर कीजिए:-
"चंद लम्हे ही सही"
चंद लम्हे ही सही , तेरा मेरा साथ चले ,
जब भी यारों में चले , तेरी मेरी बात चले ।
लोग हँसते रहें , खामोश हम अकेले में
देखते जाएँ जो तूफान और बरसात चले ।
बस तू एक बार ठहर जाओ मेरी बाहों में
अब्र में चाँद जो चाहे तो सारी रात चले ।
और सिरफिरा तुझे क्या चाहिए जमाने से
जब तलक चल सके ये पागले हालात चले ।
 
*******************
"उच्च आदर्शों के पुष्प चढ़ाएँ"
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ;
ईश्वर से हम करें प्रार्थना,
उच्च आदर्शों के पुष्प चढ़ाएँ.
सरक जाता है जिस तरह रेत
समझ ले मानव मुठ्ठी से,
निकल गया यह कालखंड भी
सरककर आज हमारी मुठ्ठी से;
दुर्गुणों पर विजय करें हम
देश का जग में मान बढाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.
क्या खोया क्या पाया हमने,
देखी प्रभु की माया हमने?
भटक रहे हम जिसकी खोज में
क्या उसे पाकर भी पाया हमने?
भटक गए हम स्वयं के अरण्य में
आओ खुद का पता लगाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.
क्या सीखा हमने इस बीते वर्ष से?
क्या किया हमने इस बीते वर्ष में?
सोंचा है कभी शांतचित्त होकर
करना क्या है नए वर्ष में?
आओ मिलकर सोंचें-विचारें
नववर्ष की योजना बनाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.
 
आया है समय नए अवसर लेकर 
करें प्रयत्न हम नव निर्माण का;
बीते दिनों के ध्वंस भुलाकर
करें स्वागत हम नवविहान का;
जाना है हमें मंजिल तक
आओ मिलकर कदम बढाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ;
ईश्वर से हम करें प्रार्थना,
उच्च आदर्शों के पुष्प चढ़ाएँ.
*********************
     मुझे अपनी वहकी हुई और पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा पार करती मेरी "कलम" के लिए मुझे फाँसी की भी सजा होती है।तब मैं अपनी फाँसी के समय से पहले ही फाँसी का फंदा चूमने के लिए तैयार रहूँगा और देश के ऊपर कुर्बान होने के लिए अपनी खुशनसीबी समझूंगा. इसके साथ ही मृत देह (शरीर) को दान करने की इच्छा है और अपनी हडियों की "कलम" बनवाकर देशहित में लिखने वाले पत्रकारों को बांटने की वसीयत करके जाऊँगा.  
http://shakuntalapress.blogspot.com/2012/01/blog-post.html
 
 
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