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गुरुवार, मार्च 14, 2013

छोटी बहन द्वारा शिक्षा


कल मेरा अपने भतीजे (अपने चाचा स्व. गोपी राम जैन जी के पोते प्रवीन जैन सपुत्र श्री सुभाष चन्द्र जैन) की शादी में जाना हुआ. कल मेरा काफी सालों बाद किसी शादी में पूरी रात रुकना हुआ. जिसमें शादी-विवाह की रस्मों को काफी नजदीक से देखने का सुअवसर मिला.जहाँ एक ओर शादी-विवाह में काफी हंसी-मजाक का दौर चलता है. वहीँ दूसरी ओर शादी-विवाह में शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक बातों के साथ ही गमहीन मौहाल बन जाता है.  इसी प्रकार कल प्रवीन जैन की "ज्योति" से हुई शादी में फेरों के बाद जब वधू की छोटी बहन "शैफाली" ने बड़ी बहन को "शिक्षा" दी. बहुत सुंदर शब्दों में लिखी शिक्षा को जब पढकर सुनाया तब उस समय जहाँ एक ओर सभी बाराती-घरातियों ने खूब जोर से ताली बजाकर प्रंशसा की. वहीँ दूसरी ओर वधू "ज्योति" का एक-एक पंक्ति पर मन गमहीन हो गया, क्योकि जिस घर में सालों तक अपने छोटे-भाई के साथ खेली-कुदी थी. जिसे अपना घर कहती थी, अब वो पराया हो गया था. मगर जमाने की रीति यहीं है...इसलिए उसको छोड़कर जा रही थी.
           आज के समय में भाग-दौड भरी जिंदगी में आज किसी के पास बेटी को अच्छी शिक्षा देने का बहुत कम समय मिल पाता है. पहले के समय संयुक्त परिवार होते थें. उसमें बड़े बजुर्ग अपनी विदा होती बेटियों को अपने पति के साथ ही सास-ससुर, ननद-देवर आदि का मान-सम्मान रखने के साथ ही कहते थें कि-बेटी तुम्हारे हाथ में दो परिवार की "इज्जत" को बनाये रखने की जिम्मेदारी है. ऐसी ही कुछ पंक्तियाँ वधू की छोटी बहन "शैफाली" द्वारा अपनी शिक्षा के माध्यम कही. उस "शिक्षा" को एक बहुत-ही सुंदर ग्रीटिंग कार्ड में लिखा हुआ था. जो उसने शिक्षा पढ़ने के नेग (शगुन) लेने के बाद अपने जीजा श्री प्रवीन जैन को दे दिया था. उसी शिक्षा की उन चंद पंक्तियों के लिए आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ.
अपनी प्यारी बहन को एक बहन की शिक्षा, मेरी बहन मैं तुमसे ज्यादा तो नहीं जानती, मगर फिर भी....कुछ शब्दों द्वारा अपनी बात रखने का प्रयास किया है.  

 "दो फूल खिले दो ह्रदय मिले, दो कलियों ने श्रृंगार किया
   आज के दिन दो पथिकों ने, संग-संग चलना स्वीकार किया"

तर्ज:-जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......
मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......

वर्षों तलक थी जहाँ तुम पली, 
हुआ घर वो पराया तुम्हारे लिए.
हमसे बिछुड़कर हमें ना भूलना, 
चाहत को हमारी ना रुसवा करना.
जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......

मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......
सास-ससुर तेरे आज से बहना, 
मात-पिता हैं यह जानले बहना.
रहेगी जो इनकी सेवा में बनीं, 
तेरे मन की कलियाँ रहेगी खिली.
जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......

मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......
ननद और तेरे वर के जो भ्राता, 
भाई-बहन का हुआ उनसे नाता.
करोगी जो इनको प्यार तुम यथा, 
इज्जत रहेगी तुम्हारी सदा.
जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......

मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......
सबका यथायोग्य सत्कार करना, 
किसी का ना तुम अपमान करना.
सबको ही जो तुम प्रेम करोगी, 
भली तुम सभी को लगती रहोगी.
जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......

मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......
सीता-सावित्री सी बनके दिखाना, 
यश तेरा गाएगा सारा जमाना.
पति की तुम सेवा करना सदा,
तुम्हारे लिए अब वहीँ देवता.
जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......

मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......
अगर बदनसीबी से बुरे दिन जो आएँ, 
देख पांव तेरे ना कभी लड़खड़ाएँ.
ऐसे समय में भी खुश जो रहोगी, 
समझ लेना घड़ियाँ दुःख की टल जायेगी.
जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......

मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......
जीजा जी हमारी यह बात ज़रा ध्यान से सुनना, 
ज्योति को हमारी बड़े प्यार से रखना.
नाज़ुक है फूल-सी है, लाडों में पली, 
हमारे घर की एक नन्हीं कली.

जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......
मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......  
जीजा जी प्रार्थना हमारी स्वीकार कर लेना, 
राहों के काँटों को भी फूल कर देना.
यहीं हमारी एक विनती है इंकार ना करना, 
बहन को हमारी बड़े प्यार से रखना .

जुदा तुमको करने की चाह नहीं है......
.मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......  
ज्योति की ज्योत सदा जलती रहेगी, 
प्रवीन को तू प्यारी सदा लगती रहेगी.
उम्र-भर का साथ है सात फेरों का बंधन, 
शैफाली चाहे सात जन्मों तक रहे यह संगम.
जुदा तुमको करने की चाह नहीं है.......

मगर इस जमाने की रीति यहीं है.......


 प्रवीन और ज्योति आपको हमारी तरफ से शादी की ढेरों शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई, आने वाला प्रत्येक नया दिन, आपके जीवन में अनेकानेक सफलताएँ एवं अपार खुशियाँ लेकर आए !! इस अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह, वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, आदर्श, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान रखे !!! जीवन हर पल जीने, उत्साह उमंग के साथ उसे अनुभव करने का नाम है ! हर दिन का शुभारम्भ उत्साह के साथ ऐसे हो जैसे नया जन्म हो,दिन भर हर क्षण योगी की तरह जियो, जरा भी नकारात्मकता को प्रविष्ट मत होने दो ! सकारात्मक, सकारात्मक मात्र सकारात्मक ! यही तुम्हारा चिन्तन हो ! यह चिन्तन यदि दापंत्य जीवन के शुभारम्भ से ही अपनाने का संकल्प ले लो, तो तुम्हें सफलताओं के शीर्ष तक पहुँचने में ज्यादा विलम्ब न होगा !! ईश्वर करे आप में आनंद और उल्लास जगे.आपके सुखद व उज्जवल भविष्य की मंगलकामना ईश्वर से और हमारे गुरुसत्ता से करते हैं."हर दिन नया जन्म समझें, उसका सदुपयोग करें" सदैव आपका दापंत्य जीवन सुखमय रहे. परमपिता आपको रोग दोष मुक्त जीवन प्रदान कर दिर्घायु बनाये, माँ भारती की सेवा और रक्षा हेतु आपको और अधिक साहस,सामर्थ, इच्छाशक्ति प्रदान करें, आप प्रगति पथ पर निरंतर उन्नति प्राप्त करें, आपकी यश कीर्ति इस संसार के समस्त कोनों में सूर्य के प्रकाश की तरह ऊर्जा और चन्द्रमा के प्रकाश की भांति शीतलता प्रदान करें, दुःख, शोक, भय आपको छूकर भी ना निकले.उस सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर से यह प्रार्थना है कि आज की मेरी हर प्रार्थना को जो मैंने आपके लिए की है,वो पूर्ण हो.
शुभाकांक्षी-रमेश कुमार जैन
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